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By Adopting A Drug-Free Life, We Can Make Our body, Mind And Society Healthy And Happy.
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नशा मुक्त जीवन अपनाकर अपने शरीर, मन और समाज को स्वस्थ और खुशहाल बनाए ।

संगम-महाकुंभ

(आत्म ज्ञान से परमात्म प्राप्ति)

सर्व मनुष्यात्माओं प्रति हार्दिक ईश्वरीय निमंत्रण

परमात्मा पर धरा आ चुके हैं

निराकार ज्योतिर्विन्दु स्वरूप परमपिता परमात्मा शिव का इस धरा पर दिव्य अवतरण हो चुका है। परमात्मा के अनुसार, अतिशीघ्र इस पुरानी कलियुगी दुनिया का परिवर्तन और नई सतयुगी दुनिया की पुनः स्थापना होने वाली है। वर्तमान समय में परमात्मा शिव के साकार मानवीय माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा दिए जा रहे ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ के सेवाकेंद्रों पर सम्पर्क कर सकते हैं। राजयोग की शिक्षा सभी ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्रों पर निशुल्क दी जाती है ।

 

प्रजापिता ब्रह्मा के शरीर में परमात्मा का दिव्य अवतरण

परमपिता परमात्मा शिव, प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर सृष्टि के आदि, मध्य और अंत का ज्ञान देते हैं और राजयोग की शिक्षा देकर सभी मनुष्य आत्माओं को श्रेष्ठ बनाते है ।   

परमात्मा के दिव्य कार्य

निराकार परमपिता परमात्मा शिव अपना दिव्य कार्य ब्रह्मा, विष्णु और शंकर द्वारा कराते है ।  ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा विनाश

मानव सृष्टि चक्र

मानव सृष्टि चक्र 5000 साल का है--> सतयुग 1250 साल , त्रेतायुग 1250 साल , द्वापरयुग 1250 साल, कलियुग 1250 साल 

राजयोग के माध्यम से परमात्मा से कैसे शक्ति प्राप्त कर सकते हैं ?

पृथ्वी के संसाधनों के मानव द्वारा दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि, मिट्टी का कटाव, पानी की कमी और बढ़ती सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ जैसे गंभीर परिणाम सामने आए हैं। यह पतन केवल मानवीय कार्यों के कारण होता है। कलयुग के समाप्त होने तक प्रकृति और मानवता दोनों ही अस्थिरता की स्थिति में पहुँच जाते हैं, जिससे पृथ्वी पर नकारात्मक वातावरण बन जाता है। इस नकारात्मकता को दूर करने के लिए, परमपिता परमात्मा एक मानव के शरीर में अवतरित होते हैं, जिन्हें परमात्मा द्वारा प्रजापिता ब्रह्मा नाम दिया जाता है। परमपिता परमात्मा, सकारात्मक ऊर्जा का एक अनंत स्रोत होने के कारण, ब्रह्मांड में संतुलन और पवित्रता बहाल करने के लिए राजयोग सिखाते हैं। इस अभ्यास के माध्यम से, हम उनकी दिव्य ऊर्जा प्राप्त करते हैं जिससे पर्यावरण और आत्माओं दोनों का शुद्धिकरण होता है ।

परमात्मा द्वारा सिखाये गये राजयोग से कैसे विश्व की सेवा कर सकते हैं ?

स्वर्ण युग से शुरू होने वाले 5000 साल के चक्र में, कलियुग के अंत तक मानव आत्मा का लोभ, क्रोध, इच्छा, मोह और अहंकार जैसे दोषों के कारण धीरे-धीरे पतन होता जाता है, जिससे उनकी  दिव्यता समाप्त हो जाती है। इसलिए, कलियुग के अंत में, संगमयुग के दौरान, परमात्मा एक मानव आत्मा के शरीर में अवतरित होते हैं, जिनका नाम प्रजापिता ब्रह्मा रखते  है और आत्माओं की दिव्यता को बहाल करने के लिए राजयोग सिखाते हैं। चूँकि निराकार परमात्मा शिव दिव्य या आध्यात्मिक ऊर्जा का एक प्रचुर स्रोत है, इसलिए नियमित रूप से राजयोग का अभ्यास करने से मानव आत्मा समय के साथ अपनी पवित्रता और दिव्यता को पुनः प्राप्त करने में सक्षम होती है।

परमात्मा का यह दिव्य कार्य अन्तिम चरण में !!!

परमात्मा का ये दिव्य कार्य पिछले 89 सालो से चल रहा है और राजयोग की शिक्षा दे रहे है। परमात्मा राजयोग की शिक्षा 5000  साल में सिर्फ एक बार देते और आदि-सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करके सत्युग की नींव रखते  है। अब ये कार्य अन्तिम चरण में है। इसलिए समय रहते आप भी इस अलौकिक कार्य में सहयोग देकर अपना भाग्य बना सकते है। इस कार्य में हम अकेले नहीं है, स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव हमारा मददगार है। इसके लिए आप अपने नजदीकी  प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़  ईश्वरीय सेवा केंद्र से संपर्क कर सकते है।